एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में ‘विश्व पुस्तक दिवस’ के अवसर पर सेमीनार का आयोजन

admin  3 weeks, 5 days ago Top Stories

किताबों के बिना जीवन ऐसा होता है जैसे आत्मा के बिना शरीर: दिनेश गोयल
एक अच्छी पुस्तक हमारे जीवन का सर्वोत्तम मित्र हैं: डॉ अनुपम अरोड़ा  
अच्छी पुस्तकें ईश्वर तुल्य है, इनकी आराधना से जीवन में प्रकाश, मार्गदर्शन और उल्लास मिलता है: डॉ संध्या

PANIPAT AAJKAL , 23 अप्रैल,  एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में ‘विश्व पुस्तक दिवस’ के अवसर पर एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया गया जिसमें कॉलेज लाइब्रेरियन डॉ संध्या ने मुख्य वक्ता की भूमिका अदा की और पुस्तकों के महत्व पर प्रकाश डाला । सेमीनार की विधिवत शुरुआत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा के संबोधन से हुई और इसमें डॉ राकेश गर्ग, डॉ एसके वर्मा, डॉ पवन कुमार ने विस्तृत चर्चा की । सेमीनार में 250 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया और अपने पुस्तक प्रेम को व्यक्त किया । विदित रहे कि विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस किताब पढ़ने वाले और किताबों का प्रकाशन करने वालों का जश्न मनाने और आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है । पुस्तक दिवस को मनाए जाने का एक और उद्देश्य किताबें एवं उसे लिखने वालों लेखकों के महत्व को आमजन तक पहुंचाना और उन्हें समझाना है । यह दिवस महान लेखकों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है और यह दिन पूरी तरह उन्हें समर्पित है । प्रत्येक वर्ष की तरह 2023 का थीम ‘अपना रास्ता पढ़ें’ है और यह विषय इस बात पर प्रकाश डालता है कि पढ़ने का शौक विकसित करना कितना महत्वपूर्ण है । यह सभी उम्र के लोगों को यह जानने के लिए प्रेरित करता है कि उनसे बात करने वाले साहित्य के साथ कैसे बातचीत की जाए ।   

उल्लेखनीय है कि एसडी पीजी कॉलेज में कुछ छात्र-छात्राओं ने मिलकर अपना एक बुक बैंक स्थापित कर रखा है जो की अपने आप में एक अनूठा प्रयास और स्टार्टअप है । इस योजना के तहत विद्यार्थी पुराने छात्र-छात्राओं तथा दिल्ली की सन्डे बुक मार्किट आदि जगहों से पुस्तकें कम से कम दामों पर खरीदते है और फिर इन पुस्तकों को जरूरतमंद एवं गरीब विद्यार्थियों को बहुत ही कम लाभ पर बेचते है । इससे न सिर्फ वंचित विद्यार्थियों की मदद होती है बल्कि इससे पुस्तकों के प्रति प्रेम और पढ़ने का भाव भी जागृत होता है । 

दिनेश गोयल ने कहा कि मध्यकाल में 23 अप्रैल के दिन जब प्रेमी अपनी प्रेमिका को गुलाब का फूल भेंट करता था तो प्रेमिका प्रत्युत्तर में अपने प्रेमी को पुस्तक भेंट देती थी । ऐसी ‘एक फूल के बदले पुस्तक’ देने की परंपरा उस समय खूब प्रचलित थी । इसके अलावा 23 अप्रैल का दिन साहित्यिक क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्यूंकि यह तिथि साहित्य के क्षेत्र से जुड़ी अनेक विभूतियों का जन्म या निधन का दिन है । 23 अप्रैल को सरवेन्टीस, शेक्सपीयर तथा गारसिलआसो डी लाव्हेगा, मारिसे ड्रयन, के लक्तनेस, ब्लेडीमीर नोबोकोव्ह, जोसेफ प्ला तथा मैन्युएल सेजीया के जन्म या निधन के दिन के रूप में जाना जाता है । अतः विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस का आयोजन करने हेतु 23 अप्रैल के दिन से उपयुक्त दिवस कोई अन्य हो ही नहीं सकता है । पुस्तकों के बिना जीवन ऐसा होता है जैसे आत्मा के बिना शरीर । 


डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि महान उद्देशीय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तथा विकास की भावना से प्रेरित 193 सदस्य देश तथा 6 सहयोगी सदस्यों की संस्था यूनेस्को द्वारा विश्व पुस्तक तथा स्वामित्व (कॉपीराइट) दिवस का औपचारिक शुभारंभ 23 अप्रैल 1995 को हुआ था । हालांकि इसकी नींव 1923 में स्पेन में पुस्तक विक्रेताओं द्वारा प्रसिद्ध लेखक मीगुयेल डी सरवेन्टीस को सम्मानित करने हेतु आयोजन के समय ही रख दी गई थी । सरवेन्टीस का देहांत भी 23 अप्रैल को ही हुआ था । इससे भी कमाल की बात तो यह है कि विलियम शेक्सपीयर के जन्म तथा निधन दोनों की तिथि भी 23 अप्रैल थी । पुस्तकें ज्ञान तथा नैतिकता की संदेशवाहक, अखंड संपत्ति, भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति हेतु एक खिड़की तथा चर्चा हेतु एक औजार का काम करती हैं तथा भौतिक वैभव के रूप में देखी जाती हैं । पुस्तकों के कारण रचनात्मक कलाकारों के स्वामित्व की रक्षा भी होती है । ऐसे में पुस्तक दिवस को मनाकर हम सभी एक जनजागरण अभियान के भागीदार बन जाते है जिसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है । बेशक आज इन्टरनेट, इ-बुक्स इत्यादि ने पढ़ने के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है परन्तु फिर भी पुस्तकों का कोई विकल्प नहीं है । एक अच्छी किताब हमारे जीवन का सर्वोत्तम मित्र हैं और यह मित्र आज भी है और सदा के लिए भी हमारे साथ रहेगा । विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस 'पुस्तक पढने की आदत को बढ़ाना' के महत्वपूर्ण उद्देश्य से भी प्रेरित है ।

डॉ संध्या ने कहा कि इस दिवस के माध्यम से हम विशेषकर बच्चों को प्रोत्साहित कर सकते है । वर्तमान में 100 से अधिक देशों में लाखों नागरिक, सैकड़ों स्वयंसेवी संगठन, शैक्षणिक संस्थान, सार्वजनिक संस्थाएँ, व्यावसायिक समूह तथा निजी व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति 'विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस' मनाते हैं । ऐसी पृष्ठभूमि तथा वर्तमान सामाजिक एवं शैक्षणिक वातावरण के परिणामस्वरूप ही इस दिवस का अब ऐतिहासिक महत्व हो गया है । अच्छी पुस्तकें ईश्वर तुल्य है, इनकी आराधना से जीवन में प्रकाश, मार्गदर्शन और उल्लास मिलता है ।

डॉ राकेश गर्ग ने कहा कि किताबों के माध्यम से हम दुनिया के महान लोगों को जानकार उन्हें आत्मसात कर सकते है । मानव के जीवन और उसकी समग्र प्रगति में किताबों की सबसे बड़ी भूमिका रहती है । किताबें न केवल सूचना और ज्ञान के भंडार हैं बल्कि हमारे चिंतन और मानसिक विस्तार में तथा हमें एक सभ्य संस्कारी मनुष्य बनाने में बहुत बड़ा दायित्व निभाती हैं । पुस्तक प्रेमी व्यक्ति ईश्वर के निकट पहुंचा व्यक्तित्व होता है । 


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