‘पृथ्वी और प्लास्टिक’ थीम पर आयोजित पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में सौरभ ने मारी बाजी.

admin  3 weeks, 6 days ago Top Stories

-पृथ्वी बचाओ विषय पर रचित गीतों पर विद्यार्थियों ने मार्मिक एवं ह्रदयस्पर्शी नृत्य किये पेश

-एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन   
-पृथ्वी के लिए निवेश करने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है: डॉ अनुपम अरोड़ा 
  

PANIPAT AAJKAL , 22 अप्रैल.       एसडी पीजी कॉलेज पानीपत की राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाइयों द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमे एनएसएस स्वयंसेवकों के साथ कॉलेज के लगभग 250 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया । कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने विद्यार्थियों को संबोधित किया । उनके साथ एनएसएस प्रोग्राम ऑफिसर डॉ राकेश गर्ग, प्रो अन्नू आहूजा, डॉ संतोष कुमारी, डॉ एस के वर्मा, डॉ मोनिका खुराना, प्रो वीरेंद्र गिल, प्रो डेनसन डी पॉल, प्रो प्रीती महला, प्रो मणि, प्रो दीप्ति शर्मा, प्रो मिनाक्षी, प्रो किरण मलिक, प्रो मीतु सैनी, प्रो शिवरानी, प्रो महाश्वेता मुख़र्जी आदि उपस्थित रहे । विदित रहे कि विश्व पृथ्वी दिवस-2024 का थीम ‘प्लेनेट वर्सेस प्लास्टिक’ है । इस थीम के जरिए पृथ्वी को प्लास्टिक से बचाने के लिए नए तरीके खोजना और प्लास्टिक के इस्तेमाक के खिलाफ आमजन को जागरूक करना है । अर्थ डे को मनाने की शुरुआत 1970 में हुई थी । सबसे पहले अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने पर्यावरण की शिक्षा के तौर पर इस दिन की शुरुआत की क्यूंकि एक साल पहले कैलिफोर्निया के सांता बारबरा में तेल रिसाव की वजह से भयंकर त्रासदी घटित हुई थी । इस हादसे में कई लोगों की जाने गई थी । तब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने का फैसला लिया गया था । नेल्सन के आह्वान पर 22 अप्रैल को लगभग दो करोड़ अमेरिकियों ने पृथ्वी दिवस के पहले आयोजन में हिस्सा लेकर दुनिया को यह सन्देश दिया था कि सबसे बेहतर निवेश पर्यावरण और धरती पर होना चाहिए । इस अवसर पर कॉलेज प्रांगण में ‘धरती बचाओ प्लास्टिक हटाओ’ थीम पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई । सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विद्यार्थियों ने ‘हमें एक नया आतंकी खतरा मिला है, इसे मौसम कहा जाता है, रासायनिक और परमाणु से भी अधिक घातक’, ‘गैस बढ़ रही है, लेकिन हम भरते जा रहे हैं, सीओटू के स्तर ने पूरे ग्रह को गर्म कर दिया है, यह सर्दियों में धधक रहा है, गर्मियों में और भी अधिक गर्मी’, ‘परिदृश्य रो रहा है, हजारों एकड़ जंगल मर रहे हैं’, ‘हम सब प्रथ्वी को बचाने में एक साथ हैं, यह हमारा घर है, आइए इसकी देखभाल करें’, ‘मैं हरे, लाल गुलाब के पेड़ देखता हूं, मैं उन्हें खिलते हुए देखता हूं, मेरे और आपके लिए, और मैं मन ही मन सोचता हूं, क्या अद्भुत दुनिया है’ जैसे गीतों पर मार्मिक नृत्य किया और दुनिया को धरती को बचाने का सन्देश दिया । स्वयंसेवकों ने पर्थिवी को बचाने और प्लास्टिक को इस्तेमाल न करने की शपथ उठाई और समाज को भी जागरूक करने का प्रण लिया ।   

 

दिनेश गोयल कॉलेज प्रधान ने अपने सन्देश में कहा कि धरती में मौजूद नमी उसे अन्य ग्रहों से अलग करती है क्यूंकि इसी के कारण इस पर जीवन संभव है । परन्तु आज के लालची मानव ने पानी के अत्यधिक और गैर-जिम्मेदाराना दोहन से धरती के इस गुण पर सवालिया निशान लगा दिया है । हरियाणा में कृषि का भविष्य अधंकार से भरा हो चुका है और यदि हम आज भी न चेते तो विनाश निश्चित है । पर्यावरण को बचाने के उपायों को सुझाते हुए उन्होनें कहा कि हमें जल का संरक्षण करना चाहिए, पानी का कम से कम उपयोग करना चाहिए, कम प्लास्टिक खरीदनी चाहिए और लंबे समय तक चलने वाले प्रकाश बल्बों का प्रयोग करना चाहिए । ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को भी हमें कम करना होगा । अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर हम ऊर्जा बचाने, हवा को साफ करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने जैसे कार्य सरलता के साथ कर सकते है ।

 डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि हम सभी अकसर कहते रहते है कि धरती हमारी माँ है । लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हम अपनी ही माँ का ध्यान नहीं रख रहे हैं । ध्यान तो छोड़िए हम ने तो इसे अपवित्र करना शुरू कर दिया है । कभी प्रदूषण के माध्यम से और कभी इसके तर्कहीन दोहन के कारण हमने धरती को दयनीय अवस्था में पहुंचा दिया है । पृथ्वी के महत्व को समझते हुए और इसके संरक्षण के लिए पूरे विश्व के लोगों ने एक दिन का चुनाव किया था जिसे अब विश्व पृथ्वी दिवस के नाम से जाना जाता है । उन्होनें कहा कि शेयर मार्किट और बांड्स में तो इंसान ने खूब निवेश किया है परन्तु अब जरुरत है कि हम हमारे ग्रह पृथ्वी में निवेश शुरू करे । अपने स्वास्थ्य, अपने परिवारों, अपनी आजीविका की रक्षा करने के लिए हमें पृथ्वी में निवेश करना ही होगा । हरा-भरा भविष्य ही एक समृद्ध भविष्य है ।


 डॉ राकेश गर्ग ने कहा कि सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि खुद को पृथ्वी पुत्र कहने वाला मानव अपनी ही मां पृथ्वी के संकट का सबसे बड़ा कारण बन गया है । निर्विवाद सत्य है कि पेड़, पौधे, पशु, पक्षी और मानव के जीवन का अंतिम सहारा पृथ्वी ही हैं । लेकिन अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के चलते मानव ने पर्यावरण को सबसे ज्यादा हानि पंहुचाई है बेशक इसका नुकसान भी सबसे ज्यादा मानव ही भुगत रहा है । जलवायु परिवर्तन और अन्य मानवीय गतिविधियों द्वारा पृथ्वी को सबसे अधिक नुकसान हुआ है । अनुमान है कि वर्ष 2050 तक मानव जीवन के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन का भी संकट पैदा हो सकता है । पीने के लिए मीठा पानी भी मिलना नामुमकिन हो जाएगा । यदि हमें इस संकट से बचना है तो जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए पृथ्वी की 30-50% भूमि, मीठे पानी और महासागर को संरक्षित करने की तुरंत आवश्यकता है ।

पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता के परिणाम-

प्रथम                  सौरभ शर्मा             बीकॉम–तृतीय

द्वितीय                 मोहम्मद जाहिद         बीए-तृतीय   

तृतीय                 नेहा                   बीकॉम-द्वितीय

नृत्य प्रतियोगिता के परिणाम-

प्रथम            रोहित कुमार            बीए अंग्रेजी (आनर्स)–तृतीय

द्वितीय           ईशा शर्मा               बीए अंग्रेजी (आनर्स)–तृतीय     

तृतीय            विपिन कुमार            बीए अंग्रेजी (आनर्स)–तृतीय

इस अवसर पर डॉ एसके वर्मा, प्रो इंदु पुनिया, दीपक मित्तल, चिराग सिंगला भी उपस्थित रहे ।

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