"इमर्जिंग ट्रेंड्स इनफ्लुएंसिंग बिजनेस एंड मैनेजमेंट इन प्रेजेंट एरा" विषय पर कांफ्रेंस का आयोजन. 

admin  4 weeks ago Top Stories

PANIPAT AAJKAL : आई. बी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पानीपत में वाणिज्य व प्रबंधन विभाग एवं आइ.क्यू.एसी के संयुक्त तत्वावधान में उच्च शिक्षा विभाग पंचकूला, हरियाणा द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय स्तर पर कांफ्रेंस का ब्लेंडेड मोड में आयोजन किया गया | इस कांफ्रेंस का विषय "इमर्जिंग ट्रेंड्स इनफ्लुएंसिंग बिजनेस एंड मैनेजमेंट इन प्रेजेंट एरा" | यह कांफ्रेंस माइक्रोसॉफ्ट टीम प्लेटफार्म पर करवाया गया | इस कांफ्रेंस का शुभारम्भ प्रो. तेजिंदर शर्मा (वाणिज्य विभाग कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र), महाविद्यालय प्रबंधक समिति के महासचिव श्री लक्ष्मी नारायण मिगलानी, श्री युधिष्ठिर मिगलानी, प्राचार्य डॉ. अजय कुमार गर्ग, उप-प्राचार्या प्रो. रंजना शर्मा, डॉ. रामेश्वर दास, डॉ. सुनित शर्मा, डॉ. निधान सिंह, डॉ. विक्रम कुमार, सह-संयोजक प्रो. अजयपाल सिंह, प्रो. माधवी एवम प्रो. ज्योति द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके व माँ सरस्वती वंदना के साथ किया गया | इस कांफ्रेंस के शुभारम्भ में महाविद्यालय प्रबंधन समिति के प्रधान श्री धर्मबीर बत्रा जी ने कहा किसी भी छात्र, विद्वान या शोधकर्ता के लिए कांफ्रेंस अति महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के इवेंट से उनकी सोचने की क्षमता और ज्ञान में वृद्धि होती हैं। किसी राष्ट्रीय कांफ्रेंस में भाग लेने से मिलने वाले लाभ लंबे समय तक चलने वाले होते हैं। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार गर्ग जी ने कहा कि कांफ्रेंस में हिस्सा लेने से आपको न केवल विशेषज्ञ के विचारों को जानने का अवसर मिलता है बल्कि अन्य प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों से भी काफी कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब आप किसी सम्मेलन का हिस्सा होते हैं तो आपको समान विचारधारा वाले विद्वानों और समान रुचियों वाले साथियों से मिलने का मौका मिलता है। इससे आपके पेपर पर विचार-मंथन और चर्चा करने की संभावनाएं बनती हैं जिससे सहयोगात्मक बातचीत हो सकती है। इसी उद्देश्य से हमारा महाविद्यालय में समय-समय पर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की कॉन्फ्रेंस होती रहती है। इस कांफ्रेंस के संयोजक डॉ. सुनित शर्मा, विभागाध्यक्ष (वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग) ने कहा कि व्यवसाय का वातावरण लगातार बदल रहा है। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है और ग्राहकों की ज़रूरतें बदलती जा रही है, वैसे ही व्यवसायों को भी मार्केट में बने रहने के लिए समय-समय पर व्यावसायिक वातावरण में हो रहे बदलाव के बारे में अपडेट होना चाहिए। व्यवसाय में उभरते ट्रेंड्स जैसे कि डिजिटाइजेशन, रिमोट वर्क, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सस्टेनेबिलिटी, वर्कफोर्स डाइवर्सिटी आदि सभी कंपनियों को प्रभावित कर रहे है। इस कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता प्रो. आर. के. मित्तल (पूर्व वॉइस चांसलर, सीबीएलयू, भिवानी) ने कहा कि आज के बदलते हुए वातावरण में व्यवसाय के लिए निर्णय लेना बहुत मुश्किल हो चुका है क्योंकि भविष्य अनिश्चित है और विश्व भिन्न-भिन्न चुनौतियां जैसे एनवायरनमेंट डिग्रेडेशन, क्लाइमेटिक चेंज, टेररिज्म अटैक, पॉलीटिकल इंस्टेबिलिटी इत्यादि से सामना कर रहा है। आज के इस बदलते हुए वातावरण और इन चुनौतियों का सामना करते हुए सभी कंपनियों को ध्यान रखना होगा कि कैसे वे अपने ग्राहकों को कम से कम मूल्य पर उत्पाद उपलब्ध करवाए। उन्होंने अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि एक व्यवसाय तभी आगे बढ़ेगा जब समय-समय पर अपने व्यापार में इनोवेशन एवम क्रिएटिविटी लायेंगे। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है कि कंपनियां स्थानीय जरूरतों और रिसर्च गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान दें। इसके अलावा उन्होंने कहा कि एनवायरमेंट डिग्रेडेशन आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है। कंपनियों को सस्टेनेबिलिटी, रिन्यूएबल और नॉन रिन्यूएबल रिसोर्सेस, लेटेस्ट टेक्नोलॉजी पर ध्यान देना होगा। कंपनियों को ऐसी रणनीतिया तैयार करनी होगी जिसमें रिसोर्सेस का सही इस्तेमाल हो और वेस्टेज कम से कम हो। इसके बाद इस कांफ्रेंस के कीनोट स्पीकर प्रो. तेजिंदर शर्मा (वाणिज्य विभाग, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी कुरुक्षेत्र) जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि दुनिया बदल रही है जिससे व्यवसाय एवं समाज भी बदल रहा है। उन्होंने व्यवसाय एवं प्रबंधन में आ रहे विभिन्न बदलाव जैसे डिजिटलाइजेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सस्टेनेबिलिटी, ग्लोबलाइजेशन इत्यादि के बारे में बात की। इन विषयों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से डिजिटलीकरण की तरफ बढ़ रही है। चाहे उद्यमों के जरिये उत्पाद बनाने और उसे बचने का मामला हो, सरकार द्वारा नागरिकों को सामाजिक सेवाएं प्रदान करना हो, तमाम जगहों पर टेक्नोलॉजी का ही बोलबाला है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधुनिक व्यवसाय संचालन का एक अभिन्न अंग बन गया है और व्यवसायों को प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और निर्णय लेने की क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक है। उन्होंने सस्टेनेबिलिटी के बारे में बात करते हुए कहा कि सस्टेनेबिलिटी सिर्फ विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता बन गई है सभी व्यवसाय को ऐसे उत्पाद बनाने होंगे जो पर्यावरण की अनुकूल हो। वैश्वीकरण ने व्यवसायों के लिए प्रतिभा पूल का काफी विस्तार किया है। अंत में उन्होंने वर्क लाइफ बैलेंस, क्रॉस फंग्शनल कोलैबोरेशन, डाइवर्सिटी, इक्विटी एवं इंक्लूजन विषयों पर भी प्रकाश डाला। इस कांफ्रेंस के प्रथम प्लेनरी सत्र के वक्ता प्रो. नवाब अली खान (वाणिज्य विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) ने अपने सत्र में नेटवर्क मार्केटिंग, ई-कॉमर्स, सस्टेनेबिलिटी , सप्लाई चैन मैनेजमेंट, केपीओ, जेंडर बैलेंस जैसे विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं दुनिया भर की बड़ी कंपनियों ने नेटवर्क मार्केटिंग के मूल मंत्र को अपनाया है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि ई-कॉमर्स माल और सेवाओं में सीमा पार व्यापार के लिए उपलब्ध सबसे तेजी से बढ़ते व्यापार मार्ग में से एक बन गया है। यह न्यूनतम निवेश के साथ विश्व बाजार में स्वीकृति सुनिश्चित करता है। इस कांफ्रेंस के तकनीकी सत्र के अध्यक्ष प्रो. आसिफ खान (डीन फैकल्टी ऑफ़ कॉमर्स, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) जी ने डेलिगेट्स द्वारा दी गई प्रस्तुतियों की सरहाना की और कहा कि बड़ी संख्या में कर्मचारी रिमोट वर्किंग यानी कहीं भी बैठकर काम करने की लचीली व्यवस्था को वेतन से अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऑफिस की जगह घर या किसी अन्य स्थान से काम करने की अनुमति देने से कंपनियों को प्रतिभावान कर्मचारी पाने और उन्हें कंपनी में बनाए रखने में मदद मिल रही है। इस समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. महावीर नरवाल (अध्यक्ष, वाणिज्य विभाग, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र) ने इस सत्र में एडेप्टिव लीडरशिप, डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन, रिमोट वर्क, सस्टेनेबिलिटी और ईसीजी प्रैक्टिस, डाटा डाटा प्राइवेसी एंड सिक्योरिटी इत्यादि विषयों पर अपने विचार रखें।उन्होंने कहा कि डेटा की हानि के परिणामस्वरूप ग्राहकों का किसी संगठन पर से भरोसा उठ सकता है और वे अपने व्यवसाय को किसी प्रतिस्पर्धी के पास ले जा सकते हैं। इससे संवेदनशील डेटा खो जाने की स्थिति में जुर्माना, कानूनी भुगतान और क्षति की मरम्मत के साथ-साथ गंभीर वित्तीय नुकसान का भी जोखिम होता है।आर्थिक अनिश्चितता और विघटनकारी तकनीकी विकास में एडाप्टिव लीडरशिप महत्वपूर्ण है। इस कांफ्रेंस में देश के विभिन्न राज्यों(हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा) से आए अध्यापकों एवं शोधार्थियों ने विभिन्न विषयों पर शोध प्रस्तुत किए। मंच का संचालन प्रो. माधवी, प्रो. ज्योति गहलोत, प्रो. पूजा, प्रो. सोनिया विरमानी द्वारा किया गया | कार्यक्रम के अंत में इस कांफ्रेंस के सहसंयोजक प्रोफेसर अजयपाल सिंह ने सभी का धन्यवाद किया | इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सह-संयोजक प्रो अजयपाल सिंह, प्रो माधवी, प्रो. ज्योति गहलोत और समिति के सदस्यों प्रो. राजेश बाला, प्रो. रूहानी शर्मा, प्रो. साक्षी मुंजाल, प्रो. करुणा, प्रो. रितिका, प्रो. निशा गुप्ता, प्रो. रीना, प्रो. रुचिका, प्रो. मनीत कौर, प्रो. पूजा, प्रो. आकांक्षा, प्रो. सुखजिंदर सिंह, प्रो. सोनिया विरमानी, प्रो. जागृति, प्रो. निशा गोयल,प्रो. नीतू भाटिया, प्रो. मोहित, प्रो. भावना, प्रो. मिलन का सराहनीय योगदान रहा | इस अवसर पर डॉ पूनम मदान, डॉ निधान सिंह, प्रो. पवन, डॉ. सीमा, , डॉ. सुनीता ढांडा, लेफ्टिनेंट राजेश, प्रो. कनक, प्रो. हिमांशी, प्रो. अंजू श्री, प्रो अंशिका , प्रो मंजू आदि मौजूद रहे |

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